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जेपीएससी, यूपीपीएससी हो या एनटीए की नीट, परीक्षा में जारी है भ्रष्टाचार की कहानी।

NEWSDESK: देश में प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार की जड़े इस कदर समा गया है कि सीबीआई जैसी संस्था भी हांफती नजर आ रही है। बात करते हैं 2007-2008 के पहले तथा दूसरे जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में कदाचार सामने आया। मेन्स परीक्षा की कॉपी में गलत ढंग से नंबर बढ़ाकर तथा इंटरव्यू के नम्बर में हेराफेरी कर अयोग्य अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी गई। जिसमें झारखंड के बड़े नेता सुदेश महतो के भाई से लेकर आयोग की सदस्य शांति देवी के रिश्तेदार तक शामिल हैं। इस मामले की जांच सीबीआई को साल 2012 मे सौंपी गई। सीबीआई को रांची हाई कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट सौंपने में 12 साल लग गए। इस बीच गलत तरीके से नौकरी पाए लोग सरकारी सेवा में बने हुए हैं। वहीं जिन अभ्यर्थियों के साथ हकमारी हुई, वे आज तक इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं।                                                                 बिहार लोक सेवा आयोग में भी इंटरव्यू की परीक्षा में भ्रष्टाचार का आरोप लगता रहा है। जेपीएससी के अध्यक्ष हो या बीपीएससी के अध्यक्ष कदाचार में शामिल होने पर जेल की हवा खाते रहे हैं। लेकिन उच्च पदस्थ लोगों के भ्रष्टाचार का खेल जारी है। आखिर सीबीआई जैसी संस्था को किसी केस की जांच में 12 साल कैसे लग जाता है।                                   ताजा मामला उत्तर प्रदेश सिविल सेवा आयोग की न्यायिक परीक्षा का है। एक अभ्यर्थी की शिकायत पर पता चलता है कि 50 से अधिक अभ्यर्थियों की कॉपी बदल गई है। ऐसा गलती से होने की बात आयोग करती है। जजों की नियुक्ति करने वाली परीक्षा में इस तरह की गड़बड़ी एक बड़े घोटाले की ओर इशारा करती है। इसको लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है।                                       एनटीए देश में डॉक्टर बनाने वाली नीट परीक्षा का आयोजन करती है। इसमें भी भ्रष्टाचार होने की बात सामने आ रही है।आखिर आप किसी को नियम से परे जाकर ग्रेस मार्क्स कैसे दे सकते हैं। नीट में गड़बड़ी की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। इस केस में सीबीआई कितनी तत्परता दिखाती है, यह देखने वाली बात होगी। इस मामले की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। हालांकि आमलोगों की नजर में नीट जैसी परीक्षा संदेह के घेरे में आ चुकी है। लोग नीट की परीक्षा दुबारा कराने की मांग लगातार कर रहे हैं। सरकार से केवल कोरा आश्वासन ही मिल रहा है।                                 प्रशासनिक अधिकारी , डॉक्टर तथा जज जैसे पदों पर अयोग्य अभ्यर्थियों का पहुंचना देश के प्रतिभावान छात्रों के साथ अन्याय होगा। सरकार के स्तर से इस पर कठोर कानून के तहत कारवाई करने की आवश्कता है , जिससे इन परीक्षाओं पर लोगों का भरोसा बन सके।

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