कभी समस्तीपुर की दीपा को करनी पड़ी आत्महत्या तो कभी दरभंगा का काजिम अंसारी बना हत्यारा, सूदखोर महाजन- समूह लोन से ऋण लेने वालों की यही है अंतहीन कहानी……
NEWSDESK: आजादी के 75 साल बाद भी राज्य में गरीबी का आलम इस कदर फैला है कि लोग सूदखोर महाजन के चंगुल में फंस रहे हैं। मजबूर लोग सूदखोर महाजन के चक्रव्यूह में अपने आपको असहाय पाते हैं। ऐसे मे इन जालिम सूदखोरो से बचने के लिए लोग आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर होते हैं, या फिर सूदखोर महाजन की ही हत्या करने जैसे गंभीर अपराध को अंजाम दे देते हैं। आखिर लोग ऐसा क्यों करते हैं, इस पर विचार विमर्श करने की जरूरत क्यों नहीं समझी जा रही है। अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है। मंहगाई और बेरोजगारी का आलम है कि निम्न मध्यम वर्ग सूदखोर महाजन के चंगुल मे फंसा है तो निम्न वर्ग के लोग माइक्रो फाइनेंस कंपनी के समूह लोन के दलदल मे धंसा जा रहा है। निम्न मध्यम वर्ग के लोग जेवर, जमीन के बदले सूदखोर महाजन से उधार लेते हैं। ऊंचे ब्याज दर के कारण वे ऋण नहीं चूका पाते हैं। उनकी जमीन और जेवर बिक जाते हैं। जिनके पास कुछ भी नही होता है, उनका एकमात्र सहारा माइक्रो फाइनेंस कंपनी का समूह लोन होता है। समूह लोन के एजेंट लोन वसूली करने में अपनी सारी हदें पार कर जाते हैं। समूह लोन के चक्कर में निम्न वर्ग की महिलाएं मानसिक तथा शारीरिक यातना झेलने को मजबूर हैं। इनका तारणहार कोई नही है। ऐसा नहीं है कि सरकार के द्वारा लोगों को ऋण मुहैया नहीं कराया जा रहा है। कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से ऋण दिए जानें की बात कही जाती है। अधिकांश ऋण बैंको के माध्यम से दिए जाते हैं। बैंको मे अफसरशाही तथा बिचौलिए का एकाधिकार है , जिसमे कमीशन खोरी का धंधा चलता है। बैंकों से लोन लेने में दौड़ – भाग के साथ- साथ काफी समय भी लगता है। ऐसे मे लोग तुरंत ऋण लेने के चक्कर में सूदखोर महाजन या फिर समूह लोन के दायरे में आ जाते हैं। यहीं से उनके दुःस्वप्न की कहानी शुरू हो जाती है, जिसका अन्त आत्महत्या या फिर किसी के हत्या के रूप में सामने आता है। सरकार के स्तर से समूह लोन तथा सूदखोर महाजन के चंगुल में फसने से बचाने की पहल होनी चाहिए।