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इंटर नेशनल स्पेस स्टेशन से एस्ट्रोनॉट नंबर 634 शुभांशु ने देशवासियों को कहा, नमस्कार।

NEWS DESK: अंतरिक्ष मिशन में भारत के लिए गुरुवार का दिन बहुत ही ऐतिहासिक रहा।
मिशन एक्सियोम के तहत भारत के शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे। 41 साल बाद किसी भारतीय ने स्पेस पर अपने कदम रखे। 1984 में स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा रूसी अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष गए थे। इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से रॉकेट फाल्कन – 9 से उड़ान भरे थे।।48 घंटे की सफल यात्रा के बाद 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंचे। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट है। शुभांशु शुक्ला 14 दिनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहेंगे, इस दौरान कई वैज्ञानिक अनुसंधान पर काम करेंगे। भारतीय खाद्य पदार्थ मेथी और मूंग के पुनर्जनन पर भी काम करेंगे। शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचकर संबोधित करते हुए भारत के लोगों को नमस्कार कहा।
उन्होंने कहा कि भारत के मानव सहित अंतरिक्ष अभियान को इससे गति मिलेगी। लखनऊ के रहने वाले शुभांशु शुक्ला एनडीए की परीक्षा पास कर साल 2006 में इंडियन एयर फोर्स के फाइटर पायलट बने। फाइटर पायलट के रूप में उन्होंने सुखोई 30 और मिग जैसे लड़ाकू विमान उड़ाए। भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान योजना का 2019 में इसरो ने उन्हें हिस्सा बनाया। शुभांशु भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन में चुने जाने के बाद रूस में 2019 से लेकर 2021 तक मुश्किल ट्रेनिंग से गुजरे। गगनयान मिशन के लिए चार एस्ट्रोनॉट की घोषणा फरवरी 2024 में औपचारिक रूप से पीएम नरेंद्र मोदी ने की। इस अवसर पर शुभांशु शुक्ला को एस्ट्रोनॉट विंग्स प्रदान किया गया। नासा और स्पेसएक्स की मिशन एक्सिओम के लिए फरवरी 2024 में इसरो के प्रतिनिधि के रूप में शुभांशु शुक्ला चुने गए। कई बार उड़ान रद्द होने के बाद आखिरकार 25 जून 2025 को फाल्कन – 9 ने उड़ान भरी। शुभांशु शुक्ला के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में कदम रखते ही भारत ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इसके साथ ही इसरो ने मानव अंतरिक्ष मिशन की ओर एक कदम बढ़ा दिया। भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान अभियान को वर्ष 2027 तक इसरो के द्वारा लॉन्च करने की योजना है।

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